बात एक बड़ी, आज मेरी समझ में है आई। बिन विराम के, भाषा न करे कभी उन्नति भाई।। बात एक बड़ी, आज मेरी समझ में है आई। बिन विराम के, भाषा न करे कभी उन्नति भाई।।
एक अंतरीप बन जाता मेरा शरीर जहाँ अश्म ही अश्म है प्राचीन पीड़ाओं के। एक अंतरीप बन जाता मेरा शरीर जहाँ अश्म ही अश्म है प्राचीन पीड़ाओं के।
चित का चोर करे कुँज विहार चोला बासंती ! चित का चोर करे कुँज विहार चोला बासंती !
योगी भोगी ठग जग का जन्मों, सदियों जाने कब से पथ दर्शक हूं मैं योगी भोगी ठग जग का जन्मों, सदियों जाने कब से पथ दर्शक हूं मैं
वो लाज है बिखरी हुई ज़मीन पर जो उधड़ा पड़ा। वो लाज है बिखरी हुई ज़मीन पर जो उधड़ा पड़ा।
सहेज कर रखती हूँ जिदंगी की किताब के लम्हे, कलम से टंकित करती हूँ। सहेज कर रखती हूँ जिदंगी की किताब के लम्हे, कलम से टंकित करती हूँ।